नटवरलाल लूटेरा पीसी सिंह नहीं रहे पीसी सिंह बिशप, बिशप की पदवी से हमेशा के लिए हाथ धो बैठे अधर्मी गुरु
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जबलपुर. किसी व्यक्ति के नाम के आगे यदि कोई सम्मान जुड़ जाता है तो वह सम्मान उसके मरते दम तक उसके साथ होता है। लेकिन व्यक्ति अगर अपने उस सम्मान को ही अपने आंतरिक स्वार्थ की पूर्ति करने के लिए उपयोग में लाने लगे तो वह सम्मान भी ज्यादा दिन तक उस व्यक्ति के पास नहीं रह सकता।
और यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि जिस बिशप पर रहते हुए पीसी सिंह ने अपने व्यक्तिगत लाभ की पूर्ति हेतु जिस तरह से मिशन की जमीनों का बंदरबांट किया अपने पद का सम्मान करना छोड़, उसे केवल अपने जेब भरने का साधन समझा उसी पीसी सिंह के नाम के आगे से भी बिशप रूपी सम्मान हटा दिया गया।
बिशप एक ऐसी सम्मानजनक पदवी जो अपने पिता परमेश्वर के प्रति अपने आस्था और मसीह समाज के लोगों को सत मार्ग दिखाने की एक मजबूत कड़ी बनती है यही कारण है कि जिस व्यक्ति के नाम के आगे बिशप शब्द जुड़ता है वह कोई आम व्यक्ति नहीं बल्कि मसीह समाज के लिए एक सम्मानीय व्यक्ति व समाज के लोगों का उद्धार करने का एक माध्यम बनता है।

लेकिन यह कहते हुए बेहद शर्म आ रही है कि पीसी सिंह ने कभी भी अपने इस पद की इज्जत नहीं कि जिसका नतीजा सबके सामने है बिशप पीसी सिंह अब केवल पीसी सिंह के नाम से जाने जाएंगे अब उन्हें बिशप कहकर संबोधित नहीं किया जाएगा। एक अधर्मी को देर से ही सही लेकिन सजा जरूर मिली।
सिनोड दिल्ली में बीते 22 और 23 नवंबर को हुए मीटिंग में यह फैसला लिया गया। यह फैसला मसीह समाज के लोगों के लिए किसी उत्साह से कम नहीं। सीएनआई के इस फैसले से 27 प्रांत के डायसिस के लोगों में खुशी की लहर है उन्हें अब उम्मीद है कि c.n.i. को ऐसे अपराधिक लोगों के हाथ में नहीं सौंपा जाएगा जिसका उद्देश्य केवल लाभ कमाना हो। इस फैसले के बाद सीएनआई के सभी मेंबर बधाई देते नजर आ रहे हैं।