उमरिया। पति की शहादत के बाद बहुत से परिवारों को टूटते हुए देखा है, लेकिन लेफ्टिनेंट रेखा सिंह जैसा जज्बा बिरला ही देखने को मिलता है। शादी के पांच माह बाद ही फौजी पति की शहादत हो गई। इसके बाद रेखा सिंह ने देश सेवा का बीड़ा उठाया।उमरिया जिले की धमोखर निवासी रेखा सिंह की कहानी प्रेरक है। रेखा सिंह का जन्म उमरिया जिले के बांधवगढ़ के धमोखर ग्राम में हुआ। पिता शिवराज सिंह पेशे से शिक्षक थे। उनकी 6 बेटियां हैं, माता ऊषा सिंह और पिता ने मिलकर बेटियों को शिक्षा, संस्कार तथा अनुशासन का पाठ पढ़ाया। इसमें सरस्वती स्कूल मानपुर का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।
देश के लिए कुछ करने का जज्बा
इन्हीं बेटियों में से चौथी बेटी रेखा सिंह है। प्रारंभिक शिक्षा मानपुर सरस्वती स्कूल से प्राप्त करने के बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए वे भोपाल चली गईं। बरकतुल्ला विश्वविद्यालय से भौतिक शास्त्र में एमएससी, बीएड करने के बाद नवोदय विद्यालय में अतिथि शिक्षक बन गईं।
सेना में नर्सिंग स्टाफ में थे पति
पिता ने 30 नवंबर 2019 को रेखा की शादी बड़े धूमधाम से रीवा जिले के फरेदा ग्राम निवासी दीपक सिंह से कर दी। वे सेना में नर्सिंग स्टाफ में थे।
दीपक सिंह के मन में देश के लिए कुछ करने का जज्बा सवार था। उनके बड़े भाई भी सेना में जवान थे ।
शादी के 5 महीने बाद ही दीपक सिंह 15 जून 2020 को गलवान घाटी में शहीद हो गये। नायक दीपक सिंह को वीर चक्र से सम्मानित किया गया है।
इस बीच रेखा का चयन माध्यमिक शिक्षक पद पर हो गया। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारी बनने के लिए यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी थी।
आरंभ से देशभक्ति का जज्बा
बेटी रेखा ने एनसीसी का बी एवं सी सर्टिफिकेट प्राप्त किया था, तभी से उसके मन में देश भक्ति का जज्बा भर गया था। बेटी अत्यंत प्रतिभाशाली है। जब भी परीक्षा दी सफलता ही हाथ लगी।- शिवराज बहादुर सिंह, रेखा सिंह के पिता
जीवन में आया बदलाव
पति के शहीद होने के बाद उनका जीवन ही बदल गया। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारी की लालसा छोड़ दिया। बहन से सारी किताबों को पैक करा दिया। बहन ने जब यह बात पिता जी को बताई तो उन्होंने कहा कि वह होनहार बेटी है, वह अपना निर्णय खुद लेगी।
जहां पति हुआ बलिदान वहां ली पहली पोस्टिंग
रेखा ने एसएसबी की तैयारी शुरू कर दी। उनकी मेहनत रंग लाई। दूसरे ही प्रयास में उनका चयन हो गया।
रेखा प्रशिक्षण लेने चेन्नई पहुंची। एक साल बाद 29 अप्रैल 2023 को उन्हें सेना से कमीशन प्राप्त हो गया।
सेना में कमीशन मिलने के बाद वे लेफ्टिनेंट रेखा सिंह के नाम से जानी जाने लगीं।
लेफ्टिनेंट रेखा सिंह ने जिद करके पहली पोस्टिंग वही कराई जहां पति ने शहादत दी थी।
लेफ्टिनेंट रेखा सिंह वर्तमान में लेह घाटी में अपनी सेवाएं दे रहीं हैं।
रेखा सभी 6 बेटियों में सबसे समझदार तथा प्रतिभाशाली एवं शांत स्वभाव की है। सभी बहनों को मिलाकर रखना, पढ़ाई के साथ मां के काम में हाथ बंटाना उसकी आदत थी। सेना में उच्च पद पर चयन होने के बाद जब अवकाश में आतीं है तो घर की सफाई से लेकर भोजन बनाने आदि का कार्य स्वयं करती है। सभी 6 बहने वंदना, पूजा, संध्या, रेखा, प्रतीक्षा, मोनिका उच्च शिक्षा के बाद शासकीय सेवा में हैं।
– ऊषा सिंह, रेखा की मां