जबलपुर , निजी स्कूल मनमानी फीस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल संचालकों को राहत दी है। आपको बता दें कि सभी प्रिंसिपल, स्कूल संचालकों को जमानत मिली है। मामले में अधिवक्ता विवेक तन्खा ने पैरवी कर प्रिंसिपल और स्कूल संचालकों का पक्ष रखा था।
11 निजी स्कूलों के खिलाफ हुई थी FIR
बता दें कि जबलपुर कलेक्टर (Jabalpur News) द्वारा आरोप लागाए गए थे कि निजी स्कूल नियम विरुध्द तरीके से फीस बढ़ाने और किताबों के विक्रेताओं से साठगांठ कर अभिभावकों को अपनी तय की गई दुकान से किताबें खरीदने के लिए बाध्य किया।
जिला प्रशासन की जां में भी ये सारे तथ्य उजागर हुए थे। इसके बाद प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ FIR दर्ज कर 11 स्कूलों के संचालक, प्रिंसिपल और अन्य स्टाफ को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था।
इसके बाद प्रबंधकों की तरफ से जमानत के आवेदन दिए गए थे। मामला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
FIR में लगाए गए आरोप बेबुनियाद
जबलपुर हाईकोर्ट में बिषप अजय जेम्स की तरफ से पैरवी कर रहे अभिषेक दिलराज के मुताबिक, याचिकाकर्ता के ऊपर FIR में जो आरोप लगाए गए हैं वे बेबुनियाद हैं।
इसके पहले मध्यप्रदेश HC के जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की कोर्ट में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रिंसिपल और कर्मचारी कभी न कभी तो रिटायर होंगे। इनका मकसद किसी को फायदा पहुंचाना नहीं है। इसलिए इनको जेल में नहीं रखा जाना चाहिए।
जबलपुर कलेक्टर ने दिए थे ये निर्देश
27 मई को जबलपुर जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने आदेश जारी किया था। कलेक्टर के निर्देश पर पुलिस-प्रशासन और शिक्षा विभाग ने पूरे जिले में ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए 60 से ज्यादा स्कूलों में जांच करवाई थी। जांच में गंभीर लापरवाही पाई गई थी।
आज सुप्रीम कोर्ट में ये हुआ
आज सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश प्रदेश शासन की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने पैरवी की। मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय की युगल पीठ ने सरकार को फटकार लगाते हुए निचली अदालतों के फैसले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार जांच पूरी करने की इच्छुक नही दिख रही हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिषप और अन्य सभी को जांच प्रक्रिया में सहयोग की शर्त पर जमानत दे दी।