एक अद्वितीय महारानी थीं एलिजाबेथ [ द्वितीय ] को जाने

अजब-गजब / अनोखी ख़बरें अंतरराष्ट्रीय

दुनिया भर में राजा-रानी के किस्से मशहूर हैं.लेकिन ब्रिट्रेन में आज भी राजा और रानी को जीवित रखा जाता है. गोरों के देश की सबसे उम्र दराज महारानीएलिजाबेथ [ द्वितीय ] के निधन के बाद एक और महारानी अफसानों का हिस्सा बन गयीं .महारानी एलिजाबेथ [ द्वितीय ] का 96 साल की उम्र में निधन हो गया है. बालमोराल कैसल में उन्होंने अंतिम सांस ली .

ब्रिट्रेन के लोग आज भी राजा-रानी के प्रति अपना अनुराग रखते हैं. वहां का लोकतंत्र सामंतवाद का अनुगामी है .ब्रिटेन ने जून में भव्य आयोजनों के साथ राष्ट्र की सेवा के 70 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में महारानी की प्लेटिनम जयंती मनाई थी. साल 2015 में, महारानी एलिजाबेथ अपनी परदादी महारानी विक्टोरिया को पीछे छोड़ते हुए सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली ब्रिटिश सम्राट बनीं. इस साल, वह दुनिया की दूसरी सबसे लंबे समय तक राज करने वाली सम्राट बनीं.

भारत में राजा-रानी के किस्से बच्चों को बचपन से सुनाये जाते हैं. हमने भी सुने हैं,आपने भी सुने होंगे .हमारे यहां 75 साल पहले आजादी आयी तो एक- एककर तमाम राजा-रानी इतिहास का हिस्सा बन गए लेकिन इंग्लैंड वालों ने अपने राजा-रानी को मरने नहीं दिया. एक जमाने में इंग्लैंड की महारानी दुनिया के एक बड़े हिस्से की महारानी होती थीं ,लेकिन समय बदला तो उनका साम्राज्य भी सिकुड़ा. बावजूद इसके इंग्लैंड की महारानी कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड, जमैका, बारबाडोस, बहामास, ग्रेनेडा, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन द्वीपसमूह, तुवालू, सन्त लूसिया, सन्त विन्सेण्ट और ग्रेनाडाइन्स, बेलीज़, अण्टीगुआ और बारबूडा और सन्त किट्स और नेविस की महारानी थी। इसके अतिरिक्त वह राष्ट्रमण्डल के ५४ राष्ट्रों और राज्यक्षेत्रों की प्रमुख हैं और ब्रिटिश साम्राज्ञी के रूप में, वह अंग्रेज़ी चर्च की सर्वोच्च राज्यपाल हैं और राष्ट्रमण्डल के सोलह स्वतन्त्र सम्प्रभु देशों की संवैधानिक महारानी थीं।

गोरों की महारानी भी गोरी और सुदर्शन थीं .वे पर पारम्परिक टोपी पहनती थीं.उनके गले में कीमती मोतियों की माला हुआ करती थीं और उनके कोट का पहले से लेकर आखरी बटन तक बंद रहता था .वे भारत की महारानियों से एकदम अलग छवि रखती थीं. इंग्लैंड की महारानी कभी किसी स्कूल या कालेज नहीं गयीं ,उन्हें घर पर ही शिक्षा -दीक्षा दी गयी. उन्होंने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जनसेवाओं में हिस्सा लेना शुरु किया व सहायक प्रादेशिक सेवा में हिस्सा लिया।1947 में उनका विवाह राजकुमार फिलिप से हुआ जिनसे उनके चार बच्चे, चार्ल्स, ऐने, राजकुमार एँड्रयू और राजकुमार एडवर्ड हैं।

महारानी एलिजबेथ द्वितीय के जीवन के किस्सों में भी दीगर राजा-रानियों जैसे रंग हैं. वे अपने पति से 13 साल की उम्र में प्रेम करने लगी थीं. उनकी सगाई हुई और उसके साथ विवाद भी जुड़े क्योंकि उनके पति फिलिप आर्थिक रूप से कमजोर थे, एक विदेशी थे और उनकी बहनों ने नाज़ी पार्टी से संबंध रखने वाले जर्मन अधिकारियों से शादियाँ की थीं। राजा के कुछ सलाहकर उन्हें राजकुमारी के लायक नहीं मानते थे। वह बिना साम्राज्य के राजकुमार थे। एलिज़ाबेथ की माँ भी उनकी बहनों के जर्मन संबंध होने की वजह से उन्हें पसंद नहीं करती थीं। हालांकि बाद में उनकी धारणा बदल गयी।

महारानी एलजीबेथ द्वितीय के साथ अनंत किस्से हैं.वे सर्वाधिक सक्रिय महारानी मानी गयीं,कभी बीमार नहीं हुईं. उन्होंने जनता से सीधे समपर्क करने की परम्परा स्थापित की. अपने लम्बे जीवनकाल में उन्होंने सुख के साथ दुःख के भी अनेक अवसर देखे लेकिन वे हमेशा अपने आपको सम्हाले रहीं. वे अपने परिजनों के प्रति बेहद आशक्ति रखतीं थी. उन्होंने अपने बेटे और पौत्रों के साथ लगातार अनुराग रखा. उन्हें दुनियां ने अपने परिजनों के साथ सार्वजनिक रूप से अनेक अवसरों पर देखा.

महारानी एलिजबेथ द्वितीय उन्होंने अपने 70 साल लंबे शासनकाल में तीन बार-1961, 1983 और 1997 में भारत की यात्रा की थी।इस दौरान महारानी ने देश में मिली ‘गर्मजोशी और आतिथ्य’ की खूब तारीफ भी की थी। उन्होंने अपने एक संबोधन में कहा था, “भारतीयों की गर्मजोशी और आतिथ्य भाव के अलावा भारत की समृद्धि और विविधता हम सभी के लिए एक प्रेरणा रही है।”
1961 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और उनके दिवंगत पति प्रिंस फिलिप ने मुंबई, चेन्नई और कोलकाता का दौरा किया था। उन्होंने आगरा पहुंचकर ताज महल का दीदार करने के साथ ही नयी दिल्ली में राज घाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी अर्पित की थी।एलिजाबेथ और फिलिप तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निमंत्रण पर भारत की गणतंत्र दिवस परेड में सम्मानित अतिथि थे। महारानी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों लोगों की भीड़ को संबोधित भी किया था।

महारानी ने 1983 में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) में हिस्सा लेने के लिए भारत की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने मदर टेरेसा को ऑर्डर ऑफ द मेरिट की मानद उपाधि से नवाजा था।भारत की उनकी अंतिम यात्रा देश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हुई थी। इस दौरान उन्होंने पहली बार औपनिवेशिक इतिहास के ‘कठोर दौर’ का जिक्र किया था।महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की इस यात्रा की स्मृति मुझे है क्योंकि उन्होंने इस यात्रा के दौरान कहा था कि -‘“यह कोई रहस्य नहीं है कि हमारे अतीत में कुछ कठोर घटनाएं हुई हैं। जलियांवाला बाग एक दुखद उदाहरण है।”महारानी और उनके पति ने बाद में अमृतसर के जलियांवाला बाग का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की थी।
इंलैण्ड में राजा-रानियों की कहानियां बनती ही रहेंगी लेकिन शायद ही कोई दूसरा हो जो महारानी एलिजबेथ द्वितीय की तरह अद्वितीय हो सके .हमारे देश में अनेक रानियां-महारानियाँ हुईं और उनके किस्से भी एलिजबेथ की तरह रोचक हैं .महारानी एलिजबेथ द्वितीय को विनम्र श्रृद्धांजलि
@ राकेश अचल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *